Thursday, February 23, 2012

......!!...सामर्थ्य ........!!


सामर्थ्य असो उत्तुंग 
विश्व जे तारी..
सुर-नरवीर ज्याची
नित्य गात ललकारी..!!

ध्वज विजयांचे जे 
उंच उभारत जाते ..
सामान्यही ते सन्मान्य
जयाने होते..!! 

 
जे मुक्त उसळता 
शौर्यबीज झळझळते ..
जे प्रमत्त होता..
धैर्यवीज सळसळते ..!!
   
सामर्थ्य शुद्ध ते 
धर्म जयातून स्फुरतो..
प्रत्यक्ष शिवाचा 
नेत्र जयातून जळतो..   

सामर्थ्य ईश्वरा असे 
दान दे आता...
जे दैवाचा शौर्याने 
नमवील माथा...!!!

-------------------------------हर्षल-----------------



 

 

Friday, February 3, 2012

शालिवाहन ...............!!!


विक्रमादित्य पौत्रश्च [ =शालिवाहन ] पितृराज्यं गृहीत्वान !!

जित्वा शकान दुराधार्षचान तैत्तरी देशजान...!!
बल्हीकान कामारूपाश्च रोमजान खुरजान छटान
तेषां कोशान गृहीत्वा च दंड योग्यान कारयत..!!

स्थापिता तेन मर्यादा मलेछ-आर्यानाम पृथक पृथक !!
सिंधुस्थानाम इति दनेयं राष्ट्रम आर्यस्यचोत्तमम !!
म्लेन्च्ह स्थानं परं सिंधो कृतं तेन महात्मना ...!!
------------------------------------भविष्य पुराण---------------------