विक्रमादित्य पौत्रश्च [ =शालिवाहन ] पितृराज्यं गृहीत्वान !!
जित्वा शकान दुराधार्षचान तैत्तरी देशजान...!!
बल्हीकान कामारूपाश्च रोमजान खुरजान छटान
तेषां कोशान गृहीत्वा च दंड योग्यान कारयत..!!
स्थापिता तेन मर्यादा मलेछ-आर्यानाम पृथक पृथक !!
सिंधुस्थानाम इति दनेयं राष्ट्रम आर्यस्यचोत्तमम !!
म्लेन्च्ह स्थानं परं सिंधो कृतं तेन महात्मना ...!!
------------------------------------भविष्य पुराण---------------------
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