धावती लोभावूनी जे, व्यर्थ त्यांची साधना
उन्मनांना सापडे का ईश्वराची भावना ?
मोह, ज्यांचे अंतराला दंश करता संपले
तम विकारी पाश, ज्यांना बांधताना भंगले
विश्वमाया थोरली ती, त्यागली ज्यांनी सुखे
सत्य दैवी उमलते प्रज्ञानमय ,ज्यांचे मुखे !!
तेच "युग -निर्माण कर्ते" सत्यदर्शक ज्ञानमूर्ती
ईश्वराची जाणती जे, शांत निश्चल आत्मस्फूर्ती !!
पूर्ण ज्यांनी शुद्ध मानस ईश्वराला वाहिले
संकटांचे भार भीषण स्मित राखून साहिले
ते सुभागी, पंथ त्यांचे देव रक्षित राहिले
वंदिती विश्वात साऱ्या स्तुत्य त्यांची पाउले !!
-------------------------------------------------------रचना :- हर्षल ---------------------------------------------------------------
उन्मनांना सापडे का ईश्वराची भावना ?
मोह, ज्यांचे अंतराला दंश करता संपले
तम विकारी पाश, ज्यांना बांधताना भंगले
विश्वमाया थोरली ती, त्यागली ज्यांनी सुखे
सत्य दैवी उमलते प्रज्ञानमय ,ज्यांचे मुखे !!
तेच "युग -निर्माण कर्ते" सत्यदर्शक ज्ञानमूर्ती
ईश्वराची जाणती जे, शांत निश्चल आत्मस्फूर्ती !!
पूर्ण ज्यांनी शुद्ध मानस ईश्वराला वाहिले
संकटांचे भार भीषण स्मित राखून साहिले
ते सुभागी, पंथ त्यांचे देव रक्षित राहिले
वंदिती विश्वात साऱ्या स्तुत्य त्यांची पाउले !!
-------------------------------------------------------रचना :- हर्षल ---------------------------------------------------------------
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