संगरोमे जन्म लेता तप्त अग्निश्वास हूँ !
रुद्रयागो मे उभरता उग्रतम निर्यास हूँ !!
कृद्ध से तूफ़ान तनु का शांत अन्तर्भाग हूँ।
दहकते ज्वालामुखी का दीर्घ जलता राग हूँ !
सर्व भंजक शिवप्रभु के सत्पदोंका दास हूँ।
नित्य विष्णु लीन रहता ; वैष्णवों का ध्यास हूँ।।
दुखितोंके ह्रदय तल में नित्य जागृत शोक जो;
सज्जनोंके मर्मस्थल में नित निवासित हर्ष जो ;
मैं उन्ही के सत्य् संगम दृश्य का अवतार हूँ।।
जानता हूँ ,एक मैं भी, ईश्वरी हूंकार हूँ।।
-----------------------लेखन - रचना - हर्षल------------
रुद्रयागो मे उभरता उग्रतम निर्यास हूँ !!
कृद्ध से तूफ़ान तनु का शांत अन्तर्भाग हूँ।
दहकते ज्वालामुखी का दीर्घ जलता राग हूँ !
सर्व भंजक शिवप्रभु के सत्पदोंका दास हूँ।
नित्य विष्णु लीन रहता ; वैष्णवों का ध्यास हूँ।।
दुखितोंके ह्रदय तल में नित्य जागृत शोक जो;
सज्जनोंके मर्मस्थल में नित निवासित हर्ष जो ;
मैं उन्ही के सत्य् संगम दृश्य का अवतार हूँ।।
जानता हूँ ,एक मैं भी, ईश्वरी हूंकार हूँ।।
-----------------------लेखन - रचना - हर्षल------------
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