ये रोशनियाँ दिवाली की। .
ये रंग भरे रंगोली के।
बस दिल की कलियाँ
बंद यहां ;इन्हे देखकर भी न खुले।
खामोश हैं मन.… खामोश नजर.... .
खामोश हैं सपनोंके मंजर
बस बात कोई हैं सीने में।
क्या गम है छुपा हमको न ख़बर।
हम खुश थे पहले जीने में।
फिर आज ये क्यों अफ़सोस यहाँ ?
शायद पहले जो सुकूँ मिला। .
अब ये उसके हर्जाने हैं।
दिल खाली हैं;सुनसान पड़ा।
क्यों हैं ऐसी मँझधार कड़ी !
शायद दिल अब ये जान गया।
के नहीं जिंदगी ;प्यार भरी।
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ये रंग भरे रंगोली के।
बस दिल की कलियाँ
बंद यहां ;इन्हे देखकर भी न खुले।
खामोश हैं मन.… खामोश नजर.... .
खामोश हैं सपनोंके मंजर
बस बात कोई हैं सीने में।
क्या गम है छुपा हमको न ख़बर।
हम खुश थे पहले जीने में।
फिर आज ये क्यों अफ़सोस यहाँ ?
शायद पहले जो सुकूँ मिला। .
अब ये उसके हर्जाने हैं।
दिल खाली हैं;सुनसान पड़ा।
क्यों हैं ऐसी मँझधार कड़ी !
शायद दिल अब ये जान गया।
के नहीं जिंदगी ;प्यार भरी।
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