Sunday, October 26, 2014

gazal 1

ये रोशनियाँ दिवाली की। .
ये रंग भरे रंगोली के।
बस दिल की कलियाँ
बंद यहां ;इन्हे देखकर भी न खुले।

खामोश हैं मन.… खामोश नजर.... .
खामोश हैं सपनोंके मंजर
बस बात कोई हैं सीने में।
क्या गम है छुपा हमको न ख़बर।

हम खुश थे पहले जीने में।
फिर आज ये  क्यों अफ़सोस यहाँ ?
शायद पहले जो सुकूँ  मिला। .
अब ये उसके हर्जाने हैं।

दिल खाली हैं;सुनसान पड़ा।
क्यों हैं ऐसी मँझधार कड़ी !
शायद दिल अब ये जान गया।
के नहीं जिंदगी  ;प्यार भरी।

__________€€ hd €€___________




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